सदियों से ख़बरें बनायीं गयी है, और फिर उड़ाई  गयी है |

घटनाओं को खबरी  जामा पहनाने वाले बदलते रहे है, और उड़ाने के तरीके भी | 

ख़बरें  उड़ाने में पहले कबूतर इस्तेंमाल किये जाते थे, और अब “व्हाट्सपी” कबूतर का बोलबाला है |

ख़बर क्या है ? हमारे आस पास होने वाली घटनाये जब हमें प्रभावित करने की क्षमता रखने लगती है तो हमारे लिए खबर बन जाती है |

क्या आपने कभी सोचा है, खबरों के नाम पे जो शोरगुल और डिस्ट्रैक्शन परोसा जा रहा है , क्या वो आपके लिए ख़बर है ?

ख़बर कबूतर  इसी प्रश्न और व्याकुलता से जन्म लेने वाला एक प्रयास है, जहा हम भूत, वर्तमान और भविष्य में होने वाली ऐसी घटनाओ और विषयो का विश्लेषण कर के अपने पाठको के सामने प्रस्तुत करते है जो उनके लिए मायने रखती है |

प्रभाव ही खबर का पैमाना है , बाकी सब शोर और वास्तविकता से पलायन है |

घबरों की गुटुर गुटुर मे संगीत छुपा है , आइये इसे मिल के ढूंढते और अनुभव करते है |

टीम
ख़बर कबूतर